टेस्ट क्रिकेट में नई क्रांति: आईसीसी ने बदले कई अहम नियम
टेस्ट क्रिकेट को तेज, साफ-सुथरा और आधुनिक बनाने के लिए आईसीसी ने कुछ बड़े नियमों में बदलाव किए हैं। अब मैदान पर न थूक चलेगा, न ढीलापन — स्टॉप क्लॉक से लेकर DRS तक, सब कुछ होगा नए अंदाज़ में।
🔁 स्टॉप क्लॉक का आगमन: समय की बर्बादी पर लगेगी लगाम
टेस्ट मैचों में गेंदबाज़ों और कप्तानों द्वारा बार-बार समय खींचने की आदत अब इतिहास बनने जा रही है।
आईसीसी ने एक “स्टॉप क्लॉक” नियम लागू किया है, जिसके अनुसार:
- गेंदबाज़ को ओवर के बीच अगली गेंद फेंकने के लिए 60 सेकंड का समय मिलेगा।
- यदि कोई टीम 3 बार इस समयसीमा को पार करती है, तो पेनल्टी रन दिए जाएंगे।
- इसका उद्देश्य खेल को सुचारू और तेज़ बनाना है, जिससे दर्शकों का अनुभव बेहतर हो सके।
यह नियम सीमित ओवरों में पहले ही लागू हो चुका है और अब इसका विस्तार टेस्ट क्रिकेट तक किया जा रहा है।
❌ थूक से गेंद चमकाना अब पूरी तरह प्रतिबंधित
कोविड-19 के समय अस्थायी तौर पर लागू हुए थूक से गेंद चमकाने पर रोक को अब स्थायी बना दिया गया है।
- आईसीसी ने यह फैसला गेंद की स्वच्छता और खेल की शुद्धता को ध्यान में रखते हुए लिया है।
- खिलाड़ी अब सिर्फ पसीने का उपयोग कर सकते हैं।
- इससे गेंद के एक पक्ष को चमकाकर स्विंग पाने की तकनीक में भी बदलाव आएगा।
यह नियम तेज गेंदबाज़ों के लिए एक चुनौती तो होगा, लेकिन खेल को साफ-सुथरा बनाए रखने की दिशा में एक जरूरी कदम है।
📺 डीआरएस में बदलाव: अब दिखेगा पूरा फैसला
DRS (Decision Review System) में भी तकनीकी सुधार किए गए हैं ताकि निर्णय और भी पारदर्शी बन सकें।
- अब अंपायर्स कॉल के मामले में पूरी प्रक्रिया विस्तार से दिखाई जाएगी।
- “पिचिंग इन लाइन”, “इम्पैक्ट इन लाइन” और “हिटिंग द स्टंप्स” — सभी डेटा और ग्राफिक्स दर्शकों को दिखाई देंगे।
- इसका उद्देश्य DRS पर भरोसा बढ़ाना है और खिलाड़ियों को बेहतर समझ देना है।
यह बदलाव दर्शकों के अनुभव को भी बेहतर बनाएगा, जिससे वे मैदान पर चल रही तकनीकी प्रक्रिया को सही से समझ सकें।
🧴 अतिरिक्त बदलाव: बॉल बदलने के नियम भी सख्त
गेंद की स्थिति और उसकी चमक को लेकर कई बार विवाद होते रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए:
- थूक के अलावा कोई अवैध तरल या मैटेरियल गेंद पर लगाए जाने पर कड़ी सज़ा का प्रावधान जोड़ा गया है।
- बॉल टेम्परिंग के मामलों में अब तीसरे अंपायर को अधिक अधिकार मिलेंगे।
- साथ ही, बॉल बदलने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए अधिक निगरानी की व्यवस्था होगी।
🔍 क्यों ज़रूरी थे ये बदलाव?
टेस्ट क्रिकेट आज के तेज़ रफ्तार युग में दर्शकों की रुचि बनाए रखने की चुनौती झेल रहा है। ये सभी बदलाव:
- खेल की रफ्तार बढ़ाने,
- निर्णयों को पारदर्शी बनाने,
- और नियमों की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए किए गए हैं।
आईसीसी का ये कदम पारंपरिक टेस्ट फॉर्मेट को आधुनिक दिशा देने का संकेत है, जिससे यह लंबे समय तक दर्शकों का पसंदीदा बना रहे।
🔚 निष्कर्ष: बदलते टेस्ट क्रिकेट के नए युग की शुरुआत
स्टॉप क्लॉक, थूक पर रोक, DRS पारदर्शिता और सख्त नियम — ये सभी मिलकर टेस्ट क्रिकेट को नई पहचान देने वाले हैं। परंपरा और तकनीक का यह संगम ही शायद इस फॉर्मेट को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।





